रोज़ तारों को नुमाइश by ravi | Apr 7, 2020 | शेर रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है, चाँद पागल है, अँधेरे में निकल पड़ता है। उस की याद आई है, साँसो ज़रा आहिस्ता चलो धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है।