Gulzar – umra kahati hai

उम्र कहती है, अब संजीदा हुआ जाए। दिल कहता है, कुछ नादानियाँ और सही।

Gulzar – khafa zindagi

लगता है ज़िन्दगी ख़फ़ा-ख़फ़ा है। चलिए छोड़िये कौन-से पहली दफा है।

Gulzar – sab kuchh

सब कुछ चाहने से हासिल हो जाए, ये मुमकिन नहीं जनाब। ये ज़िन्दगी है। बाप कर घर नहीं।

Gulzar – thoda sa rafoo

“थोड़ा सा रफू करके देखिये न; फिर से नयी सी लगेगी, ज़िन्दगी ही तो है।”

Gul-kamaal

“कहने  वालों का कुछ नहीं जाता सहने वाले कमाल करते हैं। कौन ढूंढें जवाब दर्दों का, लोग तो बस सवाल करते...