ज़रूर कोई तो लिखता होगा,
कागज़ और पत्थर का नसीब,
वर्ना ये मुमकिन नहीं कि,
कोई पत्थर ठोकर खाये,
और कोई पत्थर भगवान् बन जाए,
और कोई कागज़ की रद्दी,
और कोई गीता कुरआन बन जाए।