मिलती है ज़िंदगी में मोहब्बत कभी कभी,

होती है दिलबरों की इनायत कभी कभी।

शर्मा के मुँह न फेर नज़र के सवाल पर,

लाती है ऐसे मोड़ पे क़िस्मत कभी कभी।

खुलते नहीं हैं रोज़ दरीचे बहार के,

आती है जान-ए-मन ये क़यामत कभी कभी।

तन्हा न कट सकेंगे जवानी के रास्ते,

पेश आएगी किसी की ज़रूरत कभी कभी।

फिर खो न जाएँ हम कहीं दुनिया की भीड़ में,

मिलती है पास आने की मोहलत कभी कभी।