कोई तुमसे पूछे, कौन हूँ मैं ?
तुम कह देना, कोई ख़ास नहीं!
एक दोस्त है पक्का-कच्चा सा,
एक झूठ है आधा सच्चा सा!
जज़्बात से ढका एक पर्दा है,
एक बहाना कोई अच्छा सा!
जीवन का ऐसा साथी है जो,
पास होकर भी पास नहीं!
कोई तुमसे पूछे, कौन हूँ मैं ?
तुम कह देना, कोई ख़ास नहीं!
एक साथी जो अनकही सी,
कुछ बातें कह जाता है!
यादों में जिसका धुंधला सा,
चेहरा ही रह जाता है!
यूँ तो उसके होने का,
मुझको कोई ग़म नहीं!
पर कभी-कभी वो आँखों से,
आंसू बन के बह जाता है!
यूँ रहता तो मेरे ज़हन में है,
पर नज़रों को उसकी तलाश नहीं!
कोई तुमसे पूछे, कौन हूँ मैं ?
तुम कह देना, कोई ख़ास नहीं!
साथ बनकर जो रहता है,
वो दर्द बांटता जाता है।
भूलना तो चाहूँ उसको पर,
वो यादों में छा जाता है!
अकेला महसूस करूं कभी जो,
सपनों में आए जाता है।
मैं साथ खड़ा हूँ सदा तुम्हारे,
कहकर साहस दे जाता है!
ऐसे ही रहता है साथ मेरे कि,
उसकी मौजूदगी का एहसास नहीं!
कोई तुमसे पूछे, कौन हूँ मैं ?
तुम कह देना, कोई ख़ास नहीं!