ख़ातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया,
झूटी क़सम से आप का ईमान तो गया।
दिल ले के मुफ़्त कहते हैं कुछ काम का नहीं,
उल्टी शिकायतें हुईं एहसान तो गया।
डरता हूँ देख कर [simple_tooltip content=’बिना इक्षाओं का दिल, heart without wishes’]दिल-ए-बे-आरज़ू[/simple_tooltip] को मैं,
सुनसान घर ये क्यूँ न हो मेहमान तो गया।
क्या आए राहत आई जो [simple_tooltip content=’groove on grave’]कुंज-ए-मज़ार[/simple_tooltip] में,
वो [simple_tooltip content=’उत्साह, fervour’]वलवला[/simple_tooltip] वो शौक़ वो अरमान तो गया।
देखा है बुत-कदे में जो ऐ शैख़ कुछ न पूछ,
ईमान की तो ये है कि ईमान तो गया।
[simple_tooltip content=’प्यार के रहस्यों का खुलासा,disclosure of the secrets of love’]इफ़्शा-ए-राज़-ए-इश्क़[/simple_tooltip] में गो [simple_tooltip content=’अपमान, insult’]ज़िल्लतें[/simple_tooltip] हुईं,
लेकिन उसे जता तो दिया जान तो गया।
[simple_tooltip content=’यद्यपि, although’]गो[/simple_tooltip] [simple_tooltip content=’डाकिए, messenger’]नामा-बर[/simple_tooltip] से ख़ुश न हुआ पर हज़ार शुक्र,
मुझ को वो मेरे नाम से पहचान तो गया।
[simple_tooltip content=’प्रतिद्वंदी की सभा, assembly of the rival’]बज़्म-ए-अदू[/simple_tooltip] में सूरत-ए-परवाना दिल मिरा,
गो रश्क से जला तिरे क़ुर्बान तो गया।
होश ओ हवास ओ ताब ओ तवाँ ‘दाग़’ जा चुके,
अब हम भी जाने वाले हैं सामान तो गया।