जब प्यार नहीं है तो भुला क्यूँ नहीं देते

ख़त किस लिए रक्खे हैं जला क्यूँ नहीं देते

किस वास्ते लिक्खा है हथेली पे मिरा नाम

मैं [simple_tooltip content=’गलत शब्द, wrong word’]हर्फ़-ए-ग़लत[/simple_tooltip] हूँ तो मिटा क्यूँ नहीं देते

लिल्लाह [simple_tooltip content=’दिनरात हमेशा, night and day, always’]शब-ओ-रोज़[/simple_tooltip] की उलझन से निकालो

तुम मेरे नहीं हो तो बता क्यूँ नहीं देते

रह रह के न तड़पाओ ऐ बे-दर्द मसीहा

हाथों से मुझे ज़हर पिला क्यूँ नहीं देते

जब उस की वफ़ाओं पे यक़ीं तुम को नहीं है

‘हसरत’ को निगाहों से गिरा क्यूँ नहीं देते