दोस्त शायर था मेरा by ravi | Apr 12, 2020 | नज़्म | 0 comments दोस्त शायर था मेरा… बेतकल्लुफ़ था, किसी बात पे कह दिया मैंने “मरने से पहले भी तुम, नज़्म कोई कह के मरोगे?” मुस्कुरा के मुझे देखा, कहा- “मरने से पहले कोई नज़्म नहीं होती कभी दोस्त मरने के बाद ही कहता हूं मैं हर नज़्म हमेशा!”