जब एक कज़ा से गुज़रो तो इक और कज़ा मिल जाती है
मरने की घड़ी मिलती है अगर जीने की रज़ा मिल जाती है
जब एक कज़ा से …

इस दर्द के बहते दरिया में हर ग़म है मरहम कोई नहीं
हर दर्द का ईसा मिलता है ईसा की मरियम कोई नहीं
साँसों की इजाज़त मिलती नहीं जीने कीसज़ामिल जाती है
जब एक कज़ा से …

मैं वक़्त का मुज़रिम हूँ लेकिन इस वक़्त ने क्या इंसाफ़ किया
जब तक जीते हो जलते रहो जल जाओ तो कहना माफ़ किया
जल जाए ज़रा सी चिंगारी तो और हवा मिल जाती है
जब एक कज़ा से …

कुछ ऐसे किस्मत वाले हैंके इनकी किस्मत होती नहीं

हंसना भी मना होता है इन्हेरोने की इजाज़त होती नहीं
बेनाम सा मौसम जीते हैंबेरंग फ़िज़ा मिल जाती हैं