किताबों से कभी गुज़रो तो यूँ किरदार मिलते हैं

गए वक़्तों की ड्योढ़ी में खड़े कुछ यार मिलते हैं

जिसे हम दिल का वीराना समझकर छोड़ आये थे

वहाँ उजड़े हुए शहरों के कुछ आसार मिलते हैं