दिल के सन्नाटे खोल कभी,
तन्हाई तू भी बोल कभी।

परछाइयां चुनता रहता है,
क्यों रिश्ते बुनता रहता है।
इन वादों के पीछे कोई नहीं,
क्यों वादे सुनता रहता है।

बुझ जाएंगी सारी आवाज़ें,
यादें यादें रह जाएंगी।
तस्वीरें बचेंगी आँखों में,
और बातें सब बह जाएंगी।

दिल के सन्नाटे खोल कभी,
तन्हाई तू भी बोल कभी।