गुलों में रंग भरे [simple_tooltip content=’बसंत ऋतु की सुगंधित और शीतल वायु, breeze of new spring’]बाद-ए-नौ-बहार चले[/simple_tooltip],
चले भी आओ कि गुलशन का कारोबार चले।
[simple_tooltip content=’पिंजरा, Prison’]क़फ़स[/simple_tooltip] उदास है यारो सबा से कुछ तो कहो,
कहीं तो [simple_tooltip content=’ईश्वर के लिए’]बहर-ए-ख़ुदा[/simple_tooltip] आज ज़िक्र-ए-यार चले।
कभी तो सुब्ह तिरे [simple_tooltip content=’होंठो की शक्ति, bower of lips’]कुंज-ए-लब[/simple_tooltip] से हो आग़ाज़,
कभी तो शब [simple_tooltip content=’सर के बाल, hair’]सर-ए-काकुल[/simple_tooltip] से [simple_tooltip content=’फैलती हुई कस्तूरी, diffusing musk’]मुश्क-बार[/simple_tooltip] चले।
बड़ा है दर्द का रिश्ता ये दिल ग़रीब सही,
तुम्हारे नाम पे आएँगे [simple_tooltip content=’हमदर्द, one who console’]ग़म-गुसार[/simple_tooltip] चले।
जो हम पे गुज़री सो गुज़री मगर [simple_tooltip content=’जुदाई की रात, night of separation’]शब-ए-हिज्राँ[/simple_tooltip],
हमारे अश्क तिरी [simple_tooltip content=’अंजाम, conclusion’]आक़िबत[/simple_tooltip] सँवार चले।
[simple_tooltip content=’प्रिय की उपस्थिति में, in the presence of the beloved’]हुज़ूर-ए-यार[/simple_tooltip] हुई [simple_tooltip content=’उन्माद की भीड़, multitude of frenzy’]दफ़्तर-ए-जुनूँ की तलब[/simple_tooltip],
गिरह में ले के गरेबाँ का तार तार चले।
मक़ाम ‘फ़ैज़’ कोई राह में जचा ही नहीं,
जो [simple_tooltip content=’प्रियतम की गली से’]कू-ए-यार[/simple_tooltip] से निकले तो [simple_tooltip content=’मौत की तरफ’]सू-ए-दार[/simple_tooltip] चले।