दिखाई दिये यूं कि by ravi | May 31, 2020 | ग़ज़ल दिखाई दिये यूं कि बेख़ुद किया हमें आप से भी जुदा कर चले जबीं सजदा करते ही करते गई हक़-ए-बन्दगी हम अदा कर चले परस्तिश की यां तक कि अय बुत तुझे नज़र में सभों की ख़ुदा कर चले बहुत आरज़ू थी गली की तेरी सो यां से लहू में नहा कर चले