राहत-ए-जाँ से तो ये दिल का वबाल अच्छा है, उस ने पूछा तो है इतना तिरा हाल अच्छा है। माह अच्छा है बहुत ही न ये साल अच्छा है, फिर भी हर एक से कहता हूँ कि हाल अच्छा है। तिरे आने से कोई होश रहे या न रहे, अब तलक तो तिरे बीमार का हाल अच्छा है। ये भी मुमकिन है तिरी बात ही बन...
वो मस्जिद की खीर खाता है और मंदिर का लड्डू भी खाता है , वो भूखा है साहब उसे मज़हब कहाँ समझ आता है? vo masjid kee kheer khaata hai aur mandir ka laddoo bhee khaata hai , vo bhookha hai saahab ise majahab kahaan samajh aata...