राहत-ए-जाँ से तो ये दिल

राहत-ए-जाँ से तो ये दिल

राहत-ए-जाँ से तो ये दिल का वबाल अच्छा है, उस ने पूछा तो है इतना तिरा हाल अच्छा है। माह अच्छा है बहुत ही न ये साल अच्छा है, फिर भी हर एक से कहता हूँ कि हाल अच्छा है। तिरे आने से कोई होश रहे या न रहे, अब तलक तो तिरे बीमार का हाल अच्छा है। ये भी मुमकिन है तिरी बात ही बन...
वो मस्जिद की खीर

वो मस्जिद की खीर

वो मस्जिद की खीर खाता है और मंदिर का लड्डू भी खाता है , वो भूखा है साहब उसे मज़हब कहाँ समझ आता है? vo masjid kee kheer khaata hai aur mandir ka laddoo bhee khaata hai , vo bhookha hai saahab ise majahab kahaan samajh aata...