जब से उन की दुम का छल्ला बन गए, हम अकेले थे मोहल्ला बन गए। साल भर में या-ख़ुदा ये क्या हुआ, मर्द से हम उई अल्लाह बन गए। बन गया जिस वक़्त मैं नफ़रत की गेंद, सब [simple_tooltip content=’चिलम पकड़ने वाले, chillum or sheesha holder’]चिलम-बरदार[/simple_tooltip]...
अभी न पर्दा गिराओ, ठहरो, कि दास्ताँ आगे और भी है अभी न पर्दा गिराओ, ठहरो! अभी तो टूटी है कच्ची मिट्टी, अभी तो बस जिस्म ही गिरे हैं अभी तो किरदार ही बुझे हैं अभी सुलगते हैं रूह के ग़म, अभी धड़कते हैं दर्द दिल के अभी तो एहसास जी रहा है यह लौ बचा लो जो थक के किरदार की...
कोई तुमसे पूछे, कौन हूँ मैं ? तुम कह देना, कोई ख़ास नहीं! एक दोस्त है पक्का-कच्चा सा, एक झूठ है आधा सच्चा सा! जज़्बात से ढका एक पर्दा है, एक बहाना कोई अच्छा सा! जीवन का ऐसा साथी है जो, पास होकर भी पास नहीं! कोई तुमसे पूछे, कौन हूँ मैं ? तुम कह देना, कोई ख़ास नहीं! एक...