बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं,
तुझे ऐ ज़िंदगी हम दूर से पहचान लेते हैं।
मिरी नज़रें भी ऐसे क़ातिलों का जान ओ ईमाँ हैं,
निगाहें मिलते ही जो जान और ईमान लेते हैं।
जिसे कहती है दुनिया कामयाबी [simple_tooltip content=’अफ़सोस, expression of pain’]वाए[/simple_tooltip] नादानी,
उसे किन क़ीमतों पर कामयाब इंसान लेते हैं।
[simple_tooltip content=’नशे में धुत्त, intoxicated gance’]निगाह-ए-बादा-गूँ[/simple_tooltip] यूँ तो तिरी बातों का क्या कहना,
तिरी हर बात लेकिन [simple_tooltip content=’सावधानी से, with caution’]एहतियातन[/simple_tooltip] छान लेते हैं।
तबीअ’त अपनी घबराती है जब सुनसान रातों में,
हम ऐसे में तिरी यादों की चादर तान लेते हैं।
ख़ुद अपना फ़ैसला भी इश्क़ में काफ़ी नहीं होता,
उसे भी कैसे कर गुज़रें जो दिल में ठान लेते हैं।
[simple_tooltip content=’प्यार का जीवन, life of love’]हयात-ए-इश्क़[/simple_tooltip] का इक इक [simple_tooltip content=’आत्मा, स्वयं, soul, self’]नफ़स[/simple_tooltip] [simple_tooltip content=’glass of martyrdome’]जाम-ए-शहादत[/simple_tooltip] है,
वो [simple_tooltip content=’लाड़ प्यार और नखरों से भरा जीवन, life, spirit of those pampering, putting up with tantrums, blandishments’]जान-ए-नाज़-बरदाराँ[/simple_tooltip] कोई आसान लेते हैं।
[simple_tooltip content=’आम सहमती, consensus’]हम-आहंगी[/simple_tooltip] में भी इक चाशनी है [simple_tooltip content=’मतभेद, conflicts’]इख़्तिलाफ़ों[/simple_tooltip] की,
मिरी बातें [simple_tooltip content=’दुसरे शब्दों में, in other words’]ब-उनवान-ए-दिगर[/simple_tooltip] वो मान लेते हैं।
तिरी [simple_tooltip content=’सर्वप्रियता, populatirty’]मक़बूलियत[/simple_tooltip] की वज्ह वाहिद तेरी [simple_tooltip content=’रहस्यपूर्ण, सहज ज्ञान, enigmatic, innuendo’]रमज़िय्यत[/simple_tooltip],
कि उस को मानते ही कब हैं जिस को जान लेते हैं।
अब इस को [simple_tooltip content=’अविश्वास, बुतपरस्ती, disbelief, paganism’]कुफ़्र[/simple_tooltip] मानें या [simple_tooltip content=’विचारों का उच्चाटन, Height, exaltation of views’]बुलंदी-ए-नज़र[/simple_tooltip] जानें,
ख़ुदा-ए-दो-जहाँ को दे के हम इंसान लेते हैं।
जिसे सूरत बताते हैं पता देती है सीरत का,
इबारत देख कर जिस तरह मा’नी जान लेते हैं।
तुझे घाटा न होने देंगे [simple_tooltip content=’प्यार के व्यापार, business of love’]कारोबार-ए-उल्फ़त[/simple_tooltip] में,
हम अपने सर तिरा ऐ दोस्त हर एहसान लेते हैं।
हमारी हर नज़र तुझ से नई सौगंध खाती है,
तो तेरी हर नज़र से हम नया पैमान लेते हैं।
[simple_tooltip content=’जीवनसाथी, companion for life’]रफ़ीक़-ए-ज़िंदगी[/simple_tooltip] थी अब [simple_tooltip content=’जीवन के अंत में साथी, companion at the end of time/life’]अनीस-ए-वक़्त-ए-आख़िर[/simple_tooltip] है,
तिरा ऐ मौत हम ये दूसरा एहसान लेते हैं।
ज़माना [simple_tooltip content=’दिल में उठती भावनाएं, emotions arising in the heart’]वारदात-ए-क़ल्ब[/simple_tooltip] सुनने को तरसता है,
इसी से तो सर आँखों पर मिरा [simple_tooltip content=’ग़ज़लों के संग्रह, collection of ghazals’]दीवान[/simple_tooltip] लेते हैं।
‘फ़िराक़’ अक्सर बदल कर भेस मिलता है कोई काफ़िर,
कभी हम जान लेते हैं कभी पहचान लेते हैं।